बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-3 समाजशास्त्र
प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
वैश्वीकरण का भारत की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभाव
(Impact of Globalization on India's Economic, Social and Cultural system)
विश्व के आर्थिक रंगमंच पर वैश्वीकरण और उदारीकरण की प्रक्रियाओं ने विश्व के आर्थिक विकास की कायापलट ही कर दी। भारत में वैश्वीकरण का प्रारम्भ सन् 1991 में हुआ था। यह नए आर्थिक युग का सूत्रपात था। इस नई अर्थव्यवस्था में संघीय बाजार अर्थव्यवस्था का उदय हुआ। इसमें राज्यों को भी यह अधिकार मिल गया कि केन्द्रीय योजना अर्थव्यवस्था के अन्तर्गत वे अपनी वित्तीय स्थिति में परिवर्तन कर सकें। इस व्यवस्था में सुधार आता है या खराबी, इसके लिए राज्य स्वयं ही उत्तरदायी है। भारत में वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप उत्पन्न इस नई अर्थव्यवस्था के प्रभावों की एक झाँकी इस प्रकार प्रस्तुत की जा सकती है -
1. राष्ट्रीय आय में वृद्धि - वैश्वीकरण और उदारीकरण ने भारत की राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि की है। 2007-08 में देश की राष्ट्रीय आय 27, 60, 325 करोड़ तक पहुँच गई। इस प्रकार देश में प्रति व्यक्ति आय का सूचकांक आधार वर्ष 1993-94 में 100 था जो वर्ष 2007-08 में बढ़कर 41, 415 रुपये हो गया।
2. उद्योग धन्धों का विकास - आर्थिक विकास की उच्चदर प्राप्त करने के लिए घरेलू पूँजी निवेश बढ़ाने में विदेशी पूँजी निवेश से काफी मदद मिली है। इसके द्वारा घरेलू उद्योग को ही लाभ नहीं पहुँचा है, वरन् उपभोक्ताओं को उन्नत व तकनीकी प्रबन्ध कुशलता, मानव व प्राकृतिक संसाधनों का पूरा उपयोग भारतीय उद्योगों को अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में स्पर्धात्मक बनाने, निर्यात बाजारों को खोलने, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का सामान और सेवाएँ जुटाने का भी लाभ प्राप्त हुआ है।
3. कृषि उत्पादन में वृद्धि - वैश्वीकरण और उदारीकरण का लाभ कृषि क्षेत्र में भी पहुँच रहा है, कृषि के क्षेत्र में नवीन तकनीकी के द्वारा खाद्यान्नों का रिकार्ड उत्पादन हो रहा है और देश इस मामले में 'आत्मनिर्भर हो गया है। देश की आवश्यकता से अधिक अनाजों का निर्यात भी किया जा रहा है। वर्ष 2007-08 में खाद्यान्न का उत्पादन 230 लाख टन था, जो वर्ष 2014-15 में बढ़कर 2527 लाख टन हो गया था। प्रतिकूल सामाजिक मौसम की स्थिति में भी खाद्यान्नों का उत्पादन निरन्तर बढ़ रहा है और कृषि में हरित क्रान्ति आ गई है।
4. जीवन की गुणवत्ता - आर्थिक क्षेत्र में वैश्वीकरण और उदारीकरण के कारण तीव्र विकास हो रहा है और इसका प्रभाव गरीबी उन्मूलन पर भी पड़ा है परन्तु विकास के कुछ ऐसे पहलू भी सामने आ रहे हैं जो क्षेत्र विस्थापन कर सकते हैं और श्रम की स्थिति को कमजोर बना सकते हैं। इसका मुख्य कारण भौतिक संसाधनों, मानवीय पूँजी और सूचना के रूप में असमान सम्पन्नता का मौजूद होना है जिससे समाज के सबसे निचले स्तर के लोग विशेष तौर पर श्रमिक, स्त्रियाँ और अन्य सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से उपेक्षित वर्गों जैसे अनुसूचित जातियों, जनजातियों, अल्पसंख्यकों, अन्य पिछड़े वर्गों, विकलांगों आदि को उपलब्ध आर्थिक अवसरों का लाभ उठाने से वंचित रहना पड़ता है। बड़े पैमाने पर 'आर्थिक विकास होते हुए भी खाद्य उत्पादन तथा वितरण प्रणालियों का रोजगार और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों से तालमेल न होना ठीक नहीं है इसलिये जीवन की गुणवत्ता को उन्नत स्तर पर लाने में सफलता नहीं मिल रही है।
5. परिवहन एवं संचार क्षेत्र में प्रगति - यह वैश्वीकरण और उदारीकरण का ही परिणाम है कि आज देश में परिवहन एवं संचार का क्षेत्र लगातार बढ़ता जा रहा है। आज देश में रेलवे स्टेशनों की संख्या असंख्य है। रेलमार्गों की कुल लम्बाई 67,312 कि.मी. है। भारत में सड़कों की कुल लम्बाई 52.32 लाख कि.मी. है तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 1,00,475 कि.मी. है। विकासशील देशों में आज भारत के पास सबसे बड़ा जहाजी बेड़ा देश का 90% व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। व्यापारिक जहाजरानी बेड़े की दृष्टि से भारत विश्व में प्रमुख स्थान पर है। संचार के क्षेत्र में भारतीय डाक नेटवर्क विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इस समय देश में 1,54,939 डाकघर हैं। दूरसंचार के क्षेत्र में आज भारत में 1,54,939 टेलीफोन एक्सचेंज हैं जबकि दिसम्बर, 2012 के अन्त में 89.55 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन थे। चीन के बाद भारत विश्व का सबसे बड़ा मोबाइल उपकरणों का बाजार है। दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल हेन्डसेट कम्पनी का सबसे बड़ा कारखाना भारत के चेन्नई में है।
6. निर्धनता अनुपात में गिरावट - वैश्वीकरण एवं उदारीकरण के फलस्वरूप राष्ट्रीय एवं प्रति व्यक्ति आय में सुधार हुआ है। उद्योग-धन्धों के साथ-साथ कृषि उत्पादन में भी वृद्धि हुई है। फलस्वरूप देश में निर्धनता के अनुपात में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है। शिक्षित एवं प्रशिक्षित बेरोजगारों का रोजगार कार्यालय में पंजीकरण कर उन्हें अधिसूचित रिक्तियों की जानकारी प्रदान कर बेरोजगारी दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। देश में 965 रोजगार कार्यालय बेरोजगारों का पंजीकरण करने में लगे हुए हैं, जिसका परिणाम निर्धनता के अनुपात में गिरावट भी है।
7. निजीकरण - वैश्वीकरण और उदारीकरण का सबसे प्रमुख प्रभाव निजीकरण के रूप में देखने को मिल रहा है। विकसित देशों के विभिन्न उपक्रम निजी संस्थाओं द्वारा चलाये जाते हैं तथा अच्छा लाभ भी कमा रहे हैं। इससे प्रेरित होकर विभिन्न विकासशील देशों में निजीकरण की लहर फैल रही है और धीरे-धीरे विभिन्न उपक्रमों का निजीकरण हो रहा है।
8. शिक्षा में गुणात्मक व तकनीकी सुधार - वैश्वीकरण का महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, खासकर तकनीकी शिक्षा में। आज परिवहन एवं संचार के साधनों ने विभिन्न देशों की दूरियों को बहुत कम कर दिया है। आज किसी भी देश में शिक्षा एवं तकनीकी शिक्षा में जो सुधार हो रहे हैं वे बहुत कम समय में दुनिया के अधिकांश देशों तक पहुँचाए जा रहे हैं। जैसे कुछ वर्ष पहले इन्टरनेट से बहुत कम लोग परिचित थे, लेकिन बहुत कम समय में ही दुनिया के विभिन्न देशों में इसका प्रयोग होने लगा है।
9. महिला सशक्तिकरण ( जागरूकता) - वैश्वीकरण के इस दौर में आज महिलाएँ अपने अधिकारों के प्रति सचेत हो चुकी हैं। परिवहन एवं संचार माध्यमों के तीव्र विकास से भी महिलाओं में ज्यादा जागरूकता आई है। आज महिलाओं ने अपने विकास के लिये विभिन्न समितियाँ भी बना ली हैं। महिलायें हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ-साथ काम कर रही हैं। भारतीय महिलाओं ने भी विश्व में अपनी पहचान अलग से बनाई है। -
10. विवाह, परिवार, नातेदारी एवं जाति प्रथा में परिवर्तन - वैश्वीकरण का अनेक संस्थाओं पर भी बहुत अधिक प्रभाव पड़ा है। आज विवाह एक धार्मिक संस्कार न रहकर एक सामाजिक उत्सव सा हो गया है। व्यवस्थित विवाहों के स्थान पर प्रेम विवाहों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। विवाह की उम्र भी पहले की अपेक्षा बढ़ चुकी है, बहु-विवाहों के स्थान पर एक विवाह का प्रचलन बढ़ रहा है। वैश्वीकरण ने परिवार की संरचना में भी बहुत अधिक परिवर्तन किया है। अब संयुक्त परिवारों का स्थान एकल परिवारों ने ले लिया है जिससे बच्चों पर परिवार का नियंत्रण भी कम रह गया है। एकल परिवारों में माता- पिता अधिकांशतः रोजगार में होते हैं इसलिये वे बच्चों को समुचित समय नहीं दे पाते हैं, फलस्वरूप बच्चे के सांस्कृतिक विकास में कमी हो रही है।
वैश्वीकरण ने नातेदारी प्रथा को भी प्रभावित किया है। कुछ वर्ष पहले परिहार सम्बन्धों का पूरा- पूरा पालन किया जाता था। जैसे-जैसे वैश्वीकरण प्रक्रिया बढ़ रही है, परिहार सम्बन्धों का विशेष पालन नहीं किया जा रहा है और माध्यमिक सम्बोधन भी समाप्त होते जा रहे हैं। लेकिन परिहास सम्बन्धों पर वैश्वीकरण का अधिक प्रभाव नहीं पड़ा है, यह संबंध पहले की अपेक्षा प्रगाढ़ ही हुए हैं।
वैश्वीकरण से जातिप्रथा भी बहुत अधिक प्रभावित हुई है। अब जातिप्रथा के कठोर बन्धन धीरे-धीरे ढीले पड़ने लगे हैं। वैश्वीकरण के इस दौर में औद्योगीकरण के कारण सभी जातियों के लोग एक साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जहाँ एक समय ब्राह्मण लोग अनुसूचित जाति के लोगों के घरों के अन्दर कभी नहीं जाते, वे आज नगरों में उन्हीं के मकानों में किराए पर भी रह रहे हैं और एक साथ आना जाना, खान-पान भी हो रहा है।
11. वर्गों के स्वरूप में परिवर्तन - 20वीं सदी तक जहाँ प्रमुख तीन वर्ग थे - उच्च वर्ग, मध्यम वर्ग एवं निम्न वर्ग। लेकिन आज वर्गों की संख्या बहुत अधिक हो गई है, हर वर्ग के वैश्वीकरण ने वर्गों के स्वरूप में भी परिवर्तन कर दिया है। अनेक उपवर्ग हो गए हैं। जैसे मजदूर वर्ग, कृषक वर्ग, डॉक्टर वर्ग, शिक्षक वर्ग आदि। आय के आधार पर अन्य नए विभिन्न वर्गों का उदय हो रहा है।
12. नवीन वैश्वीय सांस्कृतिक निगम - आर्थिक वैश्वीकरण के फलस्वरूप विश्व में एक सामाजिक और आर्थिक क्रान्ति आई है। सांस्कृतिक बाजार में वस्तुओं को कौन पहुँचाता है? जेमेसन ने तर्क दिया है कि यह सब पूँजीवाद करता है। पूँजीवाद अपने विस्तार के लिये सब कुछ कर सकता है। आज की संस्कृति की उपज पूँजीवाद है, इसके उत्पादन के लिये बड़े-बड़े निगम होते हैं। संस्कृति उत्पादन का कार्य बड़ा जटिल है। विश्व में संस्कृति के जो विभिन्न प्रतिमान हैं, उन्हें ये निगम नजर' अन्दाज नहीं कर सकते।
13. वैश्वीय संस्कृति - वैश्वीय संस्कृति सामान्यतः पश्चिमी संस्कृति है। आधुनिकीकरण ने विश्व भर की संस्कृतियों को मिश्रित करने का प्रयास किया है। फिर भी इस मिश्रण में पश्चिमी और अमेरिकी संस्कृतियों की प्रधानता होती है। ऐसी अवस्था में जब यह वैश्वीय संस्कृति स्थानीय संस्कृति के सम्पर्क में आती है तब वैश्वीय संस्कृति को वैधता पाने के लिये स्थानीय संस्कृति के साथ अनुकूलन अवश्य करना पड़ता है। जब मानव अधिकार की बात उठती है तब स्थानीय संस्कृति के तत्वों के साथ किसी न किसी प्रकार का अनुकूलन अवश्य करना पड़ता है। सांस्कृतिक वैश्वीकरण के सन्दर्भ में मुख्य मुद्दा वैश्वीय स्थानीय संस्कृति के सम्बन्धों का है। यहाँ हमें इस तथ्य को कभी नहीं भूलना चाहिए कि वैश्वीकरण अपनी बुनियाद में बहुलवादी है और इस कारण वैश्वीय संस्कृति भी बहुलवादी है। यदि वैश्वीय संस्कृति में पीजा है, गले की टाई है, तो इसी संस्कृति में पकोड़े भी हैं और साफा और पगड़ी भी है। यह वैश्वीय और स्थानीय विभिन्नता ही, इस सम्पूर्ण प्रक्रिया को बहुलवादी बनाती है।
14. उपभोक्ता की प्रधानता - वैश्वीकरण की प्रकृति सजातीयता या एकरूपता करने की है। विश्व भर के लोग विभिन्नता के होते हुए भी एक जैसे साँचे में ढल जाते हैं और इस वैश्वीयता की एक और बड़ी तारीफ यह है कि यह विभिन्नता का भी समावेश कर लेती है। यह प्रकिया जिस संस्कृति को विश्व भर में समान रूप देती है, वह एक जैसी जीवन पद्धति है। कोई यह नहीं देखता कि अमुक व्यक्ति को इस बात की आवश्यकता है या नहीं। क्योंकि समाज के लिये एक तरह की वस्तुएँ जीवन पद्धति बन गया है। वैश्वीय वस्तु का उपभोग उसकी उपयोगिता के कारण नहीं होता, इसका उपभोग तो प्रतीकात्मक होता है। वस्तुओं का उपभोग वास्तविक उपयोग कम होता है और प्रतीकात्मक अधिक जैसे आजकल नवीनतम् स्टाइल का मोबाइल फोन जरूरत के साथ-साथ हाथों का गहना भी बन गया है।
वैश्वीकरण ने विश्वभर में उपयोग करने की बनावटी आवश्यकता को पैदा किया है। आज जिस नये समाज का उदगम हो रहा है, वह वस्तुतः उपभोग समाज है। इस समाज में धीरे-धीरे एक लोकप्रिय या पोप्यूलर (Popular) संस्कृति पनप रही है। यह संस्कृति नई जनसंस्कृति के रूप में सम्पूर्ण समाज में सजातीयता ला रही है। इसी संस्कृति ने अन्तर्राष्ट्रीय और घरेलू पर्यटन को बढ़ावा दिया है। पहले लोग विदेश यात्रा अध्ययन या खोज के लिये करते थे। अब पर्यटन व्यापार और व्यवसाय का एक अंग बन गया है। अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति ने भी पर्यटन को बहुत सामान्य बना दिया है। घरेलू पर्यटन भी हाल में उपभोग का एक अंग बन गया है।
|
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का क्या अर्थ है? सामाजिक परिवर्तन के प्रमुख कारकों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के भौगोलिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जैवकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के राजनैतिक तथा सेना सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में महापुरुषों की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्रौद्योगिकीय कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विचाराधारा सम्बन्धी कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के मनोवैज्ञानिक कारक की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की परिभाषा बताते हुए इसकी विशेषताएं लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की विशेषतायें बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन की प्रमुख प्रक्रियायें बताइये तथा सामाजिक परिवर्तन के कारणों (कारकों) का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जैविकीय कारकों की भूमिका का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के प्राकृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों व प्रणिशास्त्रीय कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के जनसंख्यात्मक कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- प्राणिशास्त्रीय कारक और सामाजिक परिवर्तन की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में जनसंख्यात्मक कारक के महत्व की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के आर्थिक कारक बताइये तथा आर्थिक कारकों के आधार पर मार्क्स के विचार प्रकट कीजिए?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में आर्थिक कारकों से सम्बन्धित अन्य कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक कारकों पर मार्क्स के विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में प्रौद्योगिकीय कारकों की भूमिका की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के सांस्कृतिक कारकों का वर्णन कीजिए। सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन (Cultural Lag) के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना या पश्चायन का सिद्धान्त प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में सहायक तथा अवरोधक तत्त्वों को वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक संरचना के विकास में असहायक तत्त्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- केन्द्र एवं परिरेखा के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रौद्योगिकी ने पारिवारिक जीवन को किस प्रकार प्रभावित व परिवर्तित किया है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन में सूचना प्रौद्योगिकी की क्या भूमिका है?
- प्रश्न- निम्नलिखित पुस्तकों के लेखकों के नाम लिखिए- (अ) आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन (ब) समाज
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी एवं विकास के मध्य सम्बन्ध की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- सूचना तंत्र क्रान्ति के सामाजिक परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- जैविकीय कारक का अर्थ बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिवर्तन में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के 'प्रौद्योगिकीय कारक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- जनसंचार के प्रमुख माध्यम बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी की सामाजिक परिवर्तन में भूमिका बताइये।
- प्रश्न- सूचना प्रौद्योगिकी क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास से आप क्या समझते हैं? सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास के विभिन्न स्तरों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक उद्विकास के कारकों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक विकास से सम्बन्धित नीतियों का संचालन कैसे होता है?
- प्रश्न- विकास के अर्थ तथा प्रकृति को स्पष्ट कीजिए। बॉटोमोर के विचारों को लिखिये।
- प्रश्न- विकास के आर्थिक मापदण्डों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक विकास के आयामों की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति की सहायक दशाएँ कौन-कौन सी हैं?
- प्रश्न- सामाजिक प्रगति के मापदण्ड क्या हैं?
- प्रश्न- निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
- प्रश्न- क्रान्ति से आप क्या समझते हैं? क्रान्ति के कारण तथा परिणामों / दुष्परिणामों की विवेचना कीजिए |
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास एवं प्रगति में अन्तर बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक उद्विकास की अवधारणा की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- विकास के उपागम बताइए।
- प्रश्न- भारतीय समाज मे विकास की सतत् प्रक्रिया पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- मानव विकास क्या है?
- प्रश्न- सतत् विकास क्या है?
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन के रेखीय सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- वेबलन के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- मार्क्स के सामाजिक परिवर्तन के सिद्धान्त का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन क्या है? सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय तथा रेखीय सिद्धान्तों में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
- प्रश्न- अभिजात वर्ग के परिभ्रमण की अवधारणा क्या है?
- प्रश्न- विलफ्रेडे परेटो द्वारा सामाजिक परिवर्तन के चक्रीय सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- माल्थस के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आर्थिक निर्णायकवादी सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सामाजिक परिवर्तन का सोरोकिन का सिद्धान्त एवं उसके प्रमुख आधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- ऑगबर्न के सांस्कृतिक विलम्बना के सिद्धान्त का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चेतनात्मक (इन्द्रियपरक ) एवं भावात्मक ( विचारात्मक) संस्कृतियों में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- सैडलर के जनसंख्यात्मक सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- हरबर्ट स्पेन्सर का प्राकृतिक प्रवरण का सिद्धान्त क्या है?
- प्रश्न- संस्कृतिकरण का अर्थ बताइये तथा संस्कृतिकरण में सहायक अवस्थाओं का वर्गीकरण कीजिए व संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की प्रमुख विशेषतायें बताइये। संस्कृतिकरण के साधन तथा भारत में संस्कृतिकरण के कारण उत्पन्न हुए सामाजिक परिवर्तनों का वर्णन करते हुए संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- भारत में संस्कृतिकरण के कारण होने वाले परिवर्तनों के विषय में बताइये।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण की संकल्पना के दोष बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण का अर्थ एवं परिभाषायें बताइये। पश्चिमीकरण की प्रमुख विशेषता बताइये तथा पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण के लक्षण व परिणाम बताइये।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण ने भारतीय ग्रामीण समाज के किन क्षेत्रों को प्रभावित किया है?
- प्रश्न- आधुनिक भारत में सामाजिक परिवर्तन में संस्कृतिकरण एवं पश्चिमीकरण के योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण में सहायक कारक बताइये।
- प्रश्न- समकालीन युग में संस्कृतिकरण की प्रक्रिया का स्वरूप स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पश्चिमीकरण सामाजिक परिवर्तन की प्रक्रिया के रूप में स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जातीय संरचना में परिवर्तन किस प्रकार से होता है?
- प्रश्न- स्त्रियों की स्थिति में क्या-क्या परिवर्त हुए हैं?
- प्रश्न- विवाह की संस्था में क्या परिवर्तन हुए स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- परिवार की स्थिति में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामाजिक रीति-रिवाजों में क्या परिवर्तन हुए वर्णन कीजिए?
- प्रश्न- अन्य क्षेत्रों में होने वाले परिवर्तनों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न समाजशास्त्रियों के विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के मार्ग में आने वाली प्रमुख बाधाओं की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण को परिभाषित करते हुए विभिन्न विद्वानों के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- डा. एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को बताइए।
- प्रश्न- डेनियल लर्नर के अनुसार आधुनिकीकरण की विशेषताओं को बताइए।
- प्रश्न- आइजनस्टैड के अनुसार, आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइये।
- प्रश्न- डा. योगेन्द्र सिंह के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को समझाइए।
- प्रश्न- ए. आर. देसाई के अनुसार आधुनिकीकरण के तत्वों को व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण का अर्थ तथा परिभाषा बताइये? भारत में आधुनिकीकरण के लक्षण बताइये।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण के प्रमुख लक्षण बताइये।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर आधुनिकीकरण के प्रभाव की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण का अर्थ, परिभाषा व तत्व बताइये। लौकिकीकरण के कारण तथा प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लौकिकीकरण के प्रमुख कारण बताइये।
- प्रश्न- धर्मनिरपेक्षता क्या है? धर्मनिरपेक्षता के मुख्य कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- वैश्वीकरण क्या है? वैश्वीकरण की सामाजिक सांस्कृतिक प्रतिक्रिया की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर वैश्वीकरण और उदारीकरण के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक व्यवस्था पर प्रभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में वैश्वीकरण की कौन-कौन सी चुनौतियाँ हैं? वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. वैश्वीकरण और कल्याणकारी राज्य, 2. वैश्वीकरण पर तर्क-वितर्क, 3. वैश्वीकरण की विशेषताएँ।
- प्रश्न- निम्नलिखित शीर्षकों पर टिप्पणी लिखिये - 1. संकीर्णता / संकीर्णीकरण / स्थानीयकरण 2. सार्वभौमिकरण।
- प्रश्न- संस्कृतिकरण के कारकों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के किन्हीं दो दुष्परिणामों की विवचेना कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिकता एवं आधुनिकीकरण में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- एक प्रक्रिया के रूप में आधुनिकीकरण की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- आधुनिकीकरण की हालवर्न तथा पाई की परिभाषा दीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आधुनिकीकरण के दुष्परिणाम बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन से आप क्या समझते हैं? सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन का अध्ययन किस-किस प्रकार से किया जा सकता है?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के गुणों की व्याख्या कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के सामाजिक आधार की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन को परिभाषित कीजिये। भारत मे सामाजिक आन्दोलन के कारणों एवं परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- "सामाजिक आन्दोलन और सामूहिक व्यवहार" के सम्बन्धों को समझाइये |
- प्रश्न- लोकतन्त्र में सामाजिक आन्दोलन की भूमिका को स्पष्ट कीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलनों का एक उपयुक्त वर्गीकरण प्रस्तुत करिये। इसके लिये भारत में हुए समकालीन आन्दोलनों के उदाहरण दीजिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के तत्व कौन-कौन से हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विकास के चरण अथवा अवस्थाओं को बताइये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के उत्तरदायी कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के विभिन्न सिद्धान्तों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "क्या विचारधारा किसी सामाजिक आन्दोलन का एक अत्यावश्यक अवयव है?" समझाइए।
- प्रश्न- सर्वोदय आन्दोलन पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- सर्वोदय का प्रारम्भ कब से हुआ?
- प्रश्न- सर्वोदय के प्रमुख तत्त्व क्या है?
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में नक्सली आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ? इसके स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन के प्रकोप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की क्या-क्या माँगे हैं?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन की विचारधारा कैसी है?
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का नवीन प्रेरणा के स्रोत बताइये।
- प्रश्न- नक्सली आन्दोलन का राजनीतिक स्वरूप बताइये।
- प्रश्न- आतंकवाद के रूप में नक्सली आन्दोलन का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भ्रष्टाचार के विरुद्ध आंदोलन पर एक निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- "प्रतिक्रियावादी आंदोलन" से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न - रेनांसा के सामाजिक सुधार पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'सम्पूर्ण क्रान्ति' की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रतिक्रियावादी आन्दोलन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामाजिक आन्दोलन के संदर्भ में राजनीति की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में सरदार वल्लभ पटेल की भूमिका की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "प्रतिरोधी आन्दोलन" पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- उत्तर प्रदेश के किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन क्या है? भारत में किसी एक कृषक आन्दोलन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन की आधुनिक प्रवृत्तियों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में मजदूर आन्दोलन के उद्भव एवं विकास पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' के बारे में अम्बेडकर के विचारों की विश्लेषणात्मक व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- भारत में दलित आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारकों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- महिला आन्दोलन से क्या तात्पर्य है? भारत में महिला आन्दोलन के लिये उत्तरदायी प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- पर्यावरण संरक्षण के लिए सामाजिक आन्दोलनों पर एक लेख लिखिये।
- प्रश्न- "पर्यावरणीय आंदोलन" के सामाजिक प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- भारत में सामाजिक परिवर्तन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी कीजिये। -
- प्रश्न- कृषक आन्दोलन के प्रमुख कारणों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- श्रम आन्दोलन के क्या कारण हैं?
- प्रश्न- 'दलित आन्दोलन' से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलनों के सामाजिक महत्त्व पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- पर्यावरणीय आन्दोलन के सामाजिक प्रभाव क्या हैं?